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বৃহস্পতিবার, ৯ জানুয়ারী, ২০২৫
পিতৃস্তোত্র ব্যাস উবাচ
রবিবার, ১৫ ডিসেম্বর, ২০২৪
দশ মহাবিদ্যা স্তুতি
||•|| দশমহাবিদ্যা স্তোত্রম্ ||•||
মঙ্গলবার, ১২ নভেম্বর, ২০২৪
সূর্যাষ্টকম
শনিবার, ৯ নভেম্বর, ২০২৪
জগদ্ধাত্রী পঞ্চকম
( সুব্রত মজুমদার কৃত বাংলা অনুবাদ )
মাত শঙ্করী শিবে জগদম্বে
দুর্গতিনাশিনী দুর্গে অম্বে।
দুং বীজ সম্ভূতে দুর্গতিহারা
তুমি ভূবনেশ্বরী ঈশ্বরী তারা।
আদি শক্তি তুমি ব্রাহ্মী ভবানী
বৈষ্ণবী মাত জগৎপালিনী। ১।
সিংহবাহিনী মাতা সংহার দানবে
পাপকল্মষ হর ত্রাণ কর মানবে।
সংসার সাগরে তরণী ত্রাতা
দহ পাপ হর শোক হে জগন্মাতা। ২।
হে দেবী দুর্গে বরদে শুভদে
দুষ্ট বিনাশিনী সুশোভিত আয়ুধে।
গঙ্গাধরপ্রিয়ে মঙ্গলা শোভনা
নিবাস হৃদয়ে পুরয় কামনা।৩।
পাপ তাপ হর জাহ্নবী বিমলে
শর্বাণি শঙ্করী জননী কমলে।
হৃদয় কল্মষ দহ হে জননী
মুক্তিদা গতিদা কমলেকামিনী। ৪।
সর্বভূতা দেবী বিজয় বিদাত্রী
গিরিরাজ-নন্দিনী ত্রিভূবনকর্ত্রী।
ত্রিভূবন শাসিনী ক্রোধিনী স্বান্তে
অভয়চরণরজে মুক্তিদ শান্তে। ৫।
কুলধারা তন্ত্রে ঈশ্বর বচনে
শ্রীদুর্গা মাহেশ্বরী পঞ্চক রচনে।
বঙ্গভাষাপরি অনূদিত বিমল
সুব্রত ধ্যায়ে শঙ্করী পদকমল।।
শ্রবণ মঙ্গল পঠন মঙ্গল
বিজয় সুখ সৌভাগ্য অবিরল।।
হরষিত দুর্গে দেবী জগদ্ধাত্রী
নাশে রোগশোক মুক্তিদাত্রী।।
সোমবার, ১৪ অক্টোবর, ২০২৪
जय जय गिरिबरराज किशोरी....
जय गजबदन षडाननमाता ।
भव भव विभव पराभव कारिनि।
महिमा अमित न सकहिं कहि सहस् सारदा सेष।।
सेवत तोहि सुलभ फल चारी।
बरदायनी पुरारी पिआरी।।
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।
मोर मनोरथु जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबहीं के ।।
कीन्हेऊँ प्रगट न कारन तेहीं।
अस कहि चरन गहे बैदेही ।।
बिनय प्रेम बस भई भवानी ।
खसी माल मूरति मुसकानी ।।
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ।
बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ ।।
सुनु सिय सत्य असीस हमारी ।
पूजिहिं मनकामना तुम्हारी ।।
नारद बचन सदा सुचि साचा ।
सो बरू मिलिहि जाहिं मनु राचा ।।
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरू सहज सुंदर साँवरो ।
करुना निधान सुजान सीलु सनेह जानत रावरो ।।
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली ।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली ।।
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाय कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ।।
अथः गोस्वामी तुलसीदास कृत चौपाई।